रक़ीबों को हमराह लाना न छोड़ा न छोड़ा मिरा जी जलाना न छोड़ा बलाएँ ही ले ले के काटी शब-ए-वस्ल सितमगार ने मुँह छुपाना न छोड़ा वो कहते हैं ले अब तो सोने दे मुझ को कोई दिल में अरमाँ पुराना न छोड़ा वो सीने से लिपटे रहे गो शब-ए-वस्ल दिल-ए-ज़ार ने तिलमिलाना न छोड़ा मोहब्बत के बरताव सब छोड़ बैठे मगर हाँ सताना जलाना न छोड़ा