रास्ते भर यही सोचते आए हैं
By nomaan-shauqueFebruary 28, 2024
रास्ते भर यही सोचते आए हैं
कैसे ज़िंदा यहाँ तक चले आए हैं
अहमक़ों को ये जन्नत पसंद आ गई
क़ैद-ख़ाने घरों में चले आए हैं
आप ही चैन की नींद सोने न दें
आप ही ख़्वाब भी बेचने आए हैं
हम ने देखा है इक झूठ के सामने
आइने हाथ जोड़े हुए आए हैं
तेरी रौशन-ख़याली से भी क्या मिला
मेरे हिस्से में बुझते दिए आए हैं
कैसे ज़िंदा यहाँ तक चले आए हैं
अहमक़ों को ये जन्नत पसंद आ गई
क़ैद-ख़ाने घरों में चले आए हैं
आप ही चैन की नींद सोने न दें
आप ही ख़्वाब भी बेचने आए हैं
हम ने देखा है इक झूठ के सामने
आइने हाथ जोड़े हुए आए हैं
तेरी रौशन-ख़याली से भी क्या मिला
मेरे हिस्से में बुझते दिए आए हैं
51585 viewsghazal • Hindi