रात छलकी शराब आँखों में

By kirti-ratan-singhNovember 5, 2020
रात छलकी शराब आँखों में
महके सारे ही ख़्वाब आँखों में
देखो तुम ऐसा कुछ नहीं कहना
हों जो नींदें ख़राब आँखों में


सच कहूँ तुम ने वो पढ़ी ही नहीं
है जो लिक्खी किताब आँखों में
क्या कहें तेरी इस अदा को हम
देते रहना जवाब आँखों में


तुम ने जिस दिन से मुझ को चाहा है
खिल उठे हैं गुलाब आँखों में
मुंतज़िर हूँ तेरी निगाहों की
बन के रहना नवाब आँखों में


ऐ 'रतन' तुझ से इल्तिजा है यही
ओढ़े रहना नक़ाब आँखों में
19264 viewsghazalHindi