साथ था इतना बस और बस
By afzal-ali-afzalOctober 23, 2020
साथ था इतना बस और बस
एक या दो बरस और बस
चाहतें हैं ये क्या आज-कल
काल्स कीं आठ दस और बस
तो मनाना है उस को तुझे
प्यार की थाम नस और बस
इस्मतें लुट रही हैं ये क्यों
इक ज़रा सी हवस और बस
था मिला वो मुझे इस तरह
चरसी को जूँ चरस और बस
डर किसी को नहीं होगा क्या
चंद रोज़ा क़फ़स और बस
एक या दो बरस और बस
चाहतें हैं ये क्या आज-कल
काल्स कीं आठ दस और बस
तो मनाना है उस को तुझे
प्यार की थाम नस और बस
इस्मतें लुट रही हैं ये क्यों
इक ज़रा सी हवस और बस
था मिला वो मुझे इस तरह
चरसी को जूँ चरस और बस
डर किसी को नहीं होगा क्या
चंद रोज़ा क़फ़स और बस
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