सब लोग कहानी में ही मसरूफ़ रहे थे

By danish-naqwiNovember 16, 2021
सब लोग कहानी में ही मसरूफ़ रहे थे
दर-अस्ल अदाकार हक़ीक़त में मरे थे
जाते हुए कमरे की किसी चीज़ को छू दे
मैं याद करूँगा कि तिरे हाथ लगे थे


आँखें भी तिरी फ़त्ह न कर पाए अभी तक
किस लम्हा-ए-बेकार में हम लोग बने थे
हम यूँही किसी बात को दिल पर नहीं लेते
नुक़सान ज़ियादा थे सो घबराए हुए थे


इतना ही बता सकता हूँ अहबाब के बारे
कुछ तीर मिरी पुश्त की जानिब से चले थे
मैं ने तो कहा था कि निकल जाते हैं दोनों
उस वक़्त कहानी में सभी लोग नए थे


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