सब सितारे लुटा दिए मैं ने
By tajwer-shakeelMarch 1, 2024
सब सितारे लुटा दिए मैं ने
अश्क सारे बहा दिए मैं ने
एक उस शख़्स के लिए ख़ुद को
रोग क्या क्या लगा दिए मैं ने
क्यों दु'आ 'अर्श तक नहीं जाती
बाम-ओ-दर तक हिला दिए मैं ने
उस ने बे-साख़्ता कहा बारिश
और आँसू बहा दिए मैं ने
दिल को हर बार तोड़ जाता था
क़ुफ़्ल इस पर लगा दिए मैं ने
जिस ने सुन कर भी अन-सुनी कर दी
दर्द उस को सुना दिए मैं ने
जब जहाँ जिस पे राज कर डाले
प्यार मंतर सिखा दिए मैं ने
इश्क़-ए-ताज़ा की हिद्दतें तौबा
ख़त पुराने जला दिए मैं ने
अपने मतलब से जो मिले हर दम
वो भी रिश्ते निभा दिए मैं ने
'ताजवर' 'इश्क़ का तक़ाज़ा था
ग़म उठा कर छुपा दिए मैं ने
अश्क सारे बहा दिए मैं ने
एक उस शख़्स के लिए ख़ुद को
रोग क्या क्या लगा दिए मैं ने
क्यों दु'आ 'अर्श तक नहीं जाती
बाम-ओ-दर तक हिला दिए मैं ने
उस ने बे-साख़्ता कहा बारिश
और आँसू बहा दिए मैं ने
दिल को हर बार तोड़ जाता था
क़ुफ़्ल इस पर लगा दिए मैं ने
जिस ने सुन कर भी अन-सुनी कर दी
दर्द उस को सुना दिए मैं ने
जब जहाँ जिस पे राज कर डाले
प्यार मंतर सिखा दिए मैं ने
इश्क़-ए-ताज़ा की हिद्दतें तौबा
ख़त पुराने जला दिए मैं ने
अपने मतलब से जो मिले हर दम
वो भी रिश्ते निभा दिए मैं ने
'ताजवर' 'इश्क़ का तक़ाज़ा था
ग़म उठा कर छुपा दिए मैं ने
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