सब यार मिरे ख़ूब कमाने में लगे थे

By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
सब यार मिरे ख़ूब कमाने में लगे थे
हम पिछली कमाई को लुटाने में लगे थे
वो छत भी गई सर से जो दुनिया थी हमारी
हम कौन सी दुनिया को बचाने में लगे थे


रोने को जिन्हें आज सजाई है ये महफ़िल
अच्छे वो किसी और ज़माने में लगे थे
किस सच का उन्हें सामना करने से था इंकार
क्यों लोग मिरा झूठ छुपाने में लगे थे


मा'सूम थे इतने कि जुदा होने के दिन भी
फूलों से तिरे घर को सजाने में लगे थे
बैठे थे सभी दिल के दरीचों को किए बंद
और घर को हवा-दार बनाने में लगे थे


मैं किस को वहाँ क़ैद की रूदाद सुनाता
सब अपने गिरफ़्तार गिनाने में लगे थे
83774 viewsghazalHindi