सदफ़ को गौहर-ए-नायाब लिखना
By aleem-saba-navediApril 22, 2023
सदफ़ को गौहर-ए-नायाब लिखना
ग़लत है ज़िंदगी को ख़्वाब लिखना
कोई पूछे तो तुग़्यानी से पहले
उमंगें हो गईं ग़र्क़ाब लिखना
मिरी हस्ती सिमट जाए तो इक दिन
न होने के मिरे अस्बाब लिखना
ख़मोशी का कोई पूछे सबब तो
शिकन-आलूद हैं आ'साब लिखना
नए लोगों की चाहत मतलबी है
पुरानी चाहतों का बाब लिखना
'नवेदी' से अगर पूछें घटाएँ
है ज़ख़्मों से 'सबा' शादाब लिखना
ग़लत है ज़िंदगी को ख़्वाब लिखना
कोई पूछे तो तुग़्यानी से पहले
उमंगें हो गईं ग़र्क़ाब लिखना
मिरी हस्ती सिमट जाए तो इक दिन
न होने के मिरे अस्बाब लिखना
ख़मोशी का कोई पूछे सबब तो
शिकन-आलूद हैं आ'साब लिखना
नए लोगों की चाहत मतलबी है
पुरानी चाहतों का बाब लिखना
'नवेदी' से अगर पूछें घटाएँ
है ज़ख़्मों से 'सबा' शादाब लिखना
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