सहराओं में ख़ाक उड़ाई सूरत मजनूँ वाली की

By samar-khanabadoshFebruary 29, 2024
सहराओं में ख़ाक उड़ाई सूरत मजनूँ वाली की
मुतनब्बी को सामने रक्खा नज़्में पढ़ी हैं 'हाली' की
ऊँटों को भी ले आया 'इक़बाल' के साक़ी-नामा तक
या'नी मुझ से चरवाहे ने उर्दू की रखवाली की


ख़ेमा उठाए सहरा सहरा शायद यूँ फिरता न कभी
ख़ाना-बदोशन सुन लेती गर यारो बात सवाली की
आस की परियाँ क़स्र-ए-दिल की छत पर आना भूल गईं
जब से ख़्वाब में सूरत देखी सिंधी अजरक वाली की


'मीर' की तुर्बत पर ग़ज़लों ने रो-रो रख दीं अपनी छब
मक़्ता' टाँकने वालों ने जब हद कर दी बद-हाली की
नारानाग की वादी में इक बिरहन गाए हिज्र का राग
ठहर ज़रा ऐ 'ख़ाना-बदोशा' सूझ है गर संथाली की


61871 viewsghazalHindi