समझ लो ख़ूब ये फ़तवा अभी जारी नहीं है

By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
समझ लो ख़ूब ये फ़तवा अभी जारी नहीं है
जुदा होना जुदा होने की तय्यारी नहीं है
बुरी है इस लिए भी शह्र की सेह्हत हमारे
किसी को 'इश्क़ जैसी कोई बीमारी नहीं है


कहा था बे-सबब देखोगे अपनों के जनाज़े
जिए जाने की ज़िद करना समझदारी नहीं है
यहाँ हम चल दिए हैं बात कहने जान देने
वहाँ पर मुस्कुराने की भी तय्यारी नहीं है


वही नश्शा किया है 'इश्क़ का नश्शा दुबारा
मगर इस बार उतना मेरा सर भारी नहीं है
31554 viewsghazalHindi