सारा घर एक लय में रोता है
By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
सारा घर एक लय में रोता है
लो तमाशे का वक़्त होता है
लोग रोते हैं पेट को अपने
जाने वाले को कौन रोता है
मिल ही जाएँगे चार छे काँधे
कौन अपना जनाज़ा ढोता है
क़ब्र में लेट कर हुआ एहसास
कितना मिट्टी का बोझ होता है
सब दरूद-ओ-सलाम-ओ-हम्द के बीच
इक शराबी भी मुझ को रोता है
लो तमाशे का वक़्त होता है
लोग रोते हैं पेट को अपने
जाने वाले को कौन रोता है
मिल ही जाएँगे चार छे काँधे
कौन अपना जनाज़ा ढोता है
क़ब्र में लेट कर हुआ एहसास
कितना मिट्टी का बोझ होता है
सब दरूद-ओ-सलाम-ओ-हम्द के बीच
इक शराबी भी मुझ को रोता है
85387 viewsghazal • Hindi