साथ लगता है संग लगता है
By aamir-ataFebruary 25, 2024
साथ लगता है संग लगता है
दिल सदा महव-ए-जंग लगता है
रोना पड़ता है इस लिए मुझ को
मेरी आँखों को ज़ंग लगता है
क़ैस ने कर लिया गुज़ारा मगर
मुझ को ये सहरा तंग लगता है
रोज़ हम ख़ुद से हार जाते हैं
रोज़ मैदान-ए-जंग लगता है
मेरी आँखों को तो ये क़ौस-ए-क़ुज़ह
तेरी चुनरी का रंग लगता है
ये नशा है तुम्हारी आँखों का
फिर भी लोगों को भंग लगता है
दिल सदा महव-ए-जंग लगता है
रोना पड़ता है इस लिए मुझ को
मेरी आँखों को ज़ंग लगता है
क़ैस ने कर लिया गुज़ारा मगर
मुझ को ये सहरा तंग लगता है
रोज़ हम ख़ुद से हार जाते हैं
रोज़ मैदान-ए-जंग लगता है
मेरी आँखों को तो ये क़ौस-ए-क़ुज़ह
तेरी चुनरी का रंग लगता है
ये नशा है तुम्हारी आँखों का
फिर भी लोगों को भंग लगता है
37308 viewsghazal • Hindi