शब-ए-फ़िराक़ के दम तोड़े हुए लम्हो मिरी तरह से सितारों का नौहा सुनते हो? दयार-ए-जाँ में बगूलों का रक़्स जारी है मिरे उदास ख़यालो किवाड़ मत खोलो गए दिनों की मोहब्बत ये दिन मलाल के हैं नए दिनों की मोहब्बत को ताक़ पर रख दो कभी मिलो तो सही बर-बनाए मतलब ही हमें भी बख़्श दो सरमाया-ए-ग़ुरूर अब तो सुना है कलियाँ चटकती हैं मुस्कुराने से ये तजरबा ही सही मुस्कुरा के देखो तो तमाम रात जो लड़ता रहा अँधेरों से 'ख़याल' अब वो सितारा भी गुम हुआ देखो