शाख़ के बा'द ज़मीं से भी जुदा होना है

By irfan-siddiqiFebruary 6, 2024
शाख़ के बा'द ज़मीं से भी जुदा होना है
बर्ग-ए-उफ़्तादा अभी रक़्स-ए-हवा होना है
हम तो बारिश हैं ख़राबों की हमें अगले बरस
दर-ओ-दीवार के चेहरे पे लिखा होना है


सर अगर सर है तो नेज़ों से शिकायत कैसी
दिल अगर दिल है तो दरिया से बड़ा होना है
कुछ तो करना है कि पत्थर न समझ ले सैलाब
वर्ना इस रेत की दीवार से क्या होना है


17082 viewsghazalHindi