शक्ल बदली और अन्दर आ गया

By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
शक्ल बदली और अन्दर आ गया
दुख नए कपड़े बदल कर आ गया
उस ने देखा और आँखे फेर लीं
बोझ सब मेरी नज़र पर आ गया


रास्ते-भर ऊब में डूबे रहे
जब सफ़र में दिल लगा घर आ गया
इस समुंदर के थे इतने तज़्किरे
मैं न जाने क्या समझ कर आ गया


मैं तो अपने आप को हासिल नहीं
आप को कैसे मयस्सर आ गया
88248 viewsghazalHindi