शाम का रंग जो गहरा हुआ आईने में

By ghayas-mateenSeptember 3, 2022
शाम का रंग जो गहरा हुआ आईने में
इक सितारा सा चमकने लगा आईने में
सब खिलौनों की तरह टूट रहे हैं पल-पल
और ये मंज़र मुझे डसता हुआ आईने में


गर्दिश-ए-वक़्त सँभलने नहीं देती मुझ को
सिलसिला टूटता बनता रहा आईने में
देख कर लहरों की शोरीदा-सरी याद आया
एक चेहरा कभी देखा हुआ आईने में


उस की आँखों में उतरते हुए महसूस हुआ
इक नए शहर का रस्ता मिला आईने में
आइना देख के क्यों चीख़ते रहते हो 'मतीन'
क्या कोई और है बैठा हुआ आईने में


99712 viewsghazalHindi