ये हसीं होंगे मेहरबाँ मिरे ब'अद

By shauq-bahraichiNovember 20, 2020
ये हसीं होंगे मेहरबाँ मिरे ब'अद
अंडे देंगी ये मुर्ग़ियाँ मिरे ब'अद
मैं तो मर जाऊँगा मगर सोचो
क्या करेंगी तुम्हारी माँ मिरे ब'अद


ख़ूब अभी क़हक़हा लगा लो तुम
भों-भों रोओगे मेहरबाँ मिरे ब'अद
जब न देखेगा वो बहार-ए-चमन
मर ही जाएगा बाग़बाँ मिरे ब'अद


बढ़ गई है जो आज कल मिरे दोस्त
खींची जाएगी वो ज़बाँ मिरे ब'अद
देख कर हश्र-ख़ेज़ हंगामे
रफ़ू-क्कर हुई अमाँ मिरे ब'अद


तुम शिकम-सेर किस तरह होगे
कौन पाटेगा ये कुआँ मरे ब'अद
गुल तो गुल तंग आ के काँटे भी
देंगे गुलचीं को गालियाँ मिरे ब'अद


जिस में अक्सर ख़ुलूस मिलता था
हो गई बंद वो दुकाँ मिरे ब'अद
जहाँ झुकते हैं सर सलातीं के
है मुक़फ़्फ़ल वो आस्ताँ मिरे ब'अद


रोज़ उड़ाते हैं जो मन-ओ-सल्वा
वो चबाएँगे ठुर्रियाँ मिरे ब'अद
मिरे क़ाबिल नहीं अभी ये हसीं
ये चलेंगी दवन्नियाँ मिरे ब'अद


लब-ए-शीरीं की क़द्र है मुझ से
मुँह पे भिनकेंगी मक्खियाँ मिरे ब'अद
सर-बुलंदी जिन्हें नसीब है 'शौक़'
कल वो खाएँगे जूतियाँ मिरे ब'अद


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