शोर उस के मकाँ से उठता है
By aarif-zamanApril 21, 2024
शोर उस के मकाँ से उठता है
क्या वो मुफ़्लिस जहाँ से उठता है
शक त'अल्लुक़ ख़राब करता है
फ़ित्ना वहम-ओ-गुमाँ से उठता है
दम में बुझ जाती है सफ़-ए-मातम
तू अगर दरमियाँ से उठता है
दुनिया झूटों में बट गई देखें
ना'रा-ए-हक़ कहाँ से उठता है
शहर में किस तरफ़ लगी है आग
ये धुआँ सा कहाँ से उठता है
दूद इंसानियत की ख़ुशबू का
प्यारी उर्दू ज़बाँ से उठता है
'इश्क़ में आदमी 'ज़माँ' ऊपर
फ़िक्र-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ से उठता है
क्या वो मुफ़्लिस जहाँ से उठता है
शक त'अल्लुक़ ख़राब करता है
फ़ित्ना वहम-ओ-गुमाँ से उठता है
दम में बुझ जाती है सफ़-ए-मातम
तू अगर दरमियाँ से उठता है
दुनिया झूटों में बट गई देखें
ना'रा-ए-हक़ कहाँ से उठता है
शहर में किस तरफ़ लगी है आग
ये धुआँ सा कहाँ से उठता है
दूद इंसानियत की ख़ुशबू का
प्यारी उर्दू ज़बाँ से उठता है
'इश्क़ में आदमी 'ज़माँ' ऊपर
फ़िक्र-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ से उठता है
35529 viewsghazal • Hindi