शुमार लम्हों का सदियों में कर रहा हूँ मैं
By javed-quraishiNovember 2, 2020
शुमार लम्हों का सदियों में कर रहा हूँ मैं
अजीब वक़्त से यारो गुज़र रहा हूँ मैं
ये सारा फ़ैज़ उसी आतिश-ए-दरूँ का है
हुआ है कितना अंधेरा निखर रहा हूँ मैं
नज़र नज़र में हिकायत मिरे जुनूँ की है
सहीफ़ा बन के दिलों में उतर रहा हूँ मैं
मुझे मिटा न सकोगे हज़ार कोशिश से
जहाँ डुबोया वहाँ से उभर रहा हूँ मैं
अजीब वक़्त से यारो गुज़र रहा हूँ मैं
ये सारा फ़ैज़ उसी आतिश-ए-दरूँ का है
हुआ है कितना अंधेरा निखर रहा हूँ मैं
नज़र नज़र में हिकायत मिरे जुनूँ की है
सहीफ़ा बन के दिलों में उतर रहा हूँ मैं
मुझे मिटा न सकोगे हज़ार कोशिश से
जहाँ डुबोया वहाँ से उभर रहा हूँ मैं
99053 viewsghazal • Hindi