सीनों में तपिश है कभी शोरिश है सरों में

By khursheed-rizviNovember 4, 2020
सीनों में तपिश है कभी शोरिश है सरों में
क्या चीज़ बसा दी गई मिट्टी के घरों में
चलता हूँ सदा साथ लिए अपनी फ़सीलें
पहचान सका कौन मुझे हम-सफ़रों में


उड़ना है तो तहज़ीब करो सोज़-ए-दरूँ की
ये वर्ना कहीं आग लगा दे न परों में
ग़ैरों में हुई आम तिरी दौलत-ए-दीदार
इक कोहल-ए-बसर था कि लुटा बे-बसरों में


दो-गाम पे तुम ख़ुद से बिछड़ जाते हो 'ख़ुर्शीद'
और लोग समझते हैं तुम्हें राहबरों में
23005 viewsghazalHindi