सिर्फ़ चेहरा ही नज़र आता है आईने में
By khaleel-mamoonFebruary 27, 2024
सिर्फ़ चेहरा ही नज़र आता है आईने में
अक्स-ए-आईना नहीं दिखता है आईने में
सिलसिला याद का जब ज़ेहन में जाग उठता है
एक दरिया सा उमड आता है आईने में
अपनी आँखों को कभी ग़ौर से जब देखता हूँ
नूर चेहरा तिरा जाग उठता है आईने में
रोते रोते जौ कभी पड़ती है उस सम्त नज़र
कोई नमनाक दिया जलता है आईने में
कभी ऐसा भी हुआ है कि शब-ए-फ़ुर्क़त में
अक्स उभर कर तिरा खो जाता है आईने में
तैरे चेहरे की हँसी देख के यूँ लगता है
फूल जैसे कोई खिल उठता है आईने में
क्या ख़बर कैसा लगे अक्स जो बाहर आ जाए
उस को रहने दो वहीं अच्छा है आईने में
उस में जो डूबा कभी वो न उभरने पाया
मौजज़न एक सियह दरिया है आईने में
आईना-ख़ाना में क्या हम से छुपा है 'मामून'
हम ने क्या क्या न भला देखा है आईने में
अक्स-ए-आईना नहीं दिखता है आईने में
सिलसिला याद का जब ज़ेहन में जाग उठता है
एक दरिया सा उमड आता है आईने में
अपनी आँखों को कभी ग़ौर से जब देखता हूँ
नूर चेहरा तिरा जाग उठता है आईने में
रोते रोते जौ कभी पड़ती है उस सम्त नज़र
कोई नमनाक दिया जलता है आईने में
कभी ऐसा भी हुआ है कि शब-ए-फ़ुर्क़त में
अक्स उभर कर तिरा खो जाता है आईने में
तैरे चेहरे की हँसी देख के यूँ लगता है
फूल जैसे कोई खिल उठता है आईने में
क्या ख़बर कैसा लगे अक्स जो बाहर आ जाए
उस को रहने दो वहीं अच्छा है आईने में
उस में जो डूबा कभी वो न उभरने पाया
मौजज़न एक सियह दरिया है आईने में
आईना-ख़ाना में क्या हम से छुपा है 'मामून'
हम ने क्या क्या न भला देखा है आईने में
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