सुबूत अपनी मोहब्बत का उसे देना ज़रूरी था
By mohammad-abid-ali-abidNovember 6, 2020
सुबूत अपनी मोहब्बत का उसे देना ज़रूरी था
उड़ाना ख़ाक करना चाक दामन का शुऊ'री था
शरार-ए-संग से हस्ब-ए-ज़रूरत आग रौशन की
ये ख़ाकी अपनी फ़ितरत में न नारी थाना नूरी था
कनार-ए-राह जो अश्जार थे साए की ख़ातिर थे
बताना काम संग-ए-मील का मंज़िल से दूरी था
सितम ढाना मुकरना और मुझे ख़ामोश कर देना
मोहब्बत में रवय्या उस का चोरी सीना-ज़ोरी था
ख़ुदा-हाफ़िज़ कि आने को है अपनी मंज़िल-ए-मक़्सूद
क़याम अपना जहाँ में मुस्तक़िल कब था उबूरी था
उड़ाना ख़ाक करना चाक दामन का शुऊ'री था
शरार-ए-संग से हस्ब-ए-ज़रूरत आग रौशन की
ये ख़ाकी अपनी फ़ितरत में न नारी थाना नूरी था
कनार-ए-राह जो अश्जार थे साए की ख़ातिर थे
बताना काम संग-ए-मील का मंज़िल से दूरी था
सितम ढाना मुकरना और मुझे ख़ामोश कर देना
मोहब्बत में रवय्या उस का चोरी सीना-ज़ोरी था
ख़ुदा-हाफ़िज़ कि आने को है अपनी मंज़िल-ए-मक़्सूद
क़याम अपना जहाँ में मुस्तक़िल कब था उबूरी था
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