सूखे हुए होंटों को भिगोने में लगा हूँ
By salim-saleemFebruary 28, 2024
सूखे हुए होंटों को भिगोने में लगा हूँ
सैराब हैं सब और मैं रोने में लगा हूँ
इक रोज़ मिरा क़त्ल हुआ था मिरे हाथों
फैला हुआ ख़ून अपना मैं धोने में लगा हूँ
इक बार-ए-गराँ है मिरे काँधे पे कि सर है
मैं अब भी इसी बोझ को ढोने में लगा हूँ
इस बार तो तुम भी मुझे पाने में लगे हो
इस बार तो मैं भी तुम्हें खोने में लगा हूँ
सैराब हैं सब और मैं रोने में लगा हूँ
इक रोज़ मिरा क़त्ल हुआ था मिरे हाथों
फैला हुआ ख़ून अपना मैं धोने में लगा हूँ
इक बार-ए-गराँ है मिरे काँधे पे कि सर है
मैं अब भी इसी बोझ को ढोने में लगा हूँ
इस बार तो तुम भी मुझे पाने में लगे हो
इस बार तो मैं भी तुम्हें खोने में लगा हूँ
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