सुनो दरिया की दुहाई साहब
By noman-farooqNovember 11, 2020
सुनो दरिया की दुहाई साहब
प्यास मिलने नहीं आई साहब
याद करती है महकती सरसों
राह तकती है फुलाई साहब
मेरे हाथों में क़लम था लेकिन
मैं ने तलवार उठाई साहब
मुझ पे पथराव किया फूलों ने
चोट ख़ुश्बू ने लगाई साहब
मेरे होंटों से छुड़ा कर दामन
प्यास दरिया में नहाई साहब
प्यास मिलने नहीं आई साहब
याद करती है महकती सरसों
राह तकती है फुलाई साहब
मेरे हाथों में क़लम था लेकिन
मैं ने तलवार उठाई साहब
मुझ पे पथराव किया फूलों ने
चोट ख़ुश्बू ने लगाई साहब
मेरे होंटों से छुड़ा कर दामन
प्यास दरिया में नहाई साहब
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