तभी तो भीड़ बे-शुमार है यहाँ
By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
तभी तो भीड़ बे-शुमार है यहाँ
बुरी ख़बर का इंतिज़ार है यहाँ
जहान सारा अस्पताल क्यों नहीं
कि अजनबी भी ग़म-गुसार है यहाँ
न फ़स्ल मुख़्तलिफ़ है खेत-खेत की
न मेढ़ पर कटीला तार है यहाँ
ये आइना ये टूटा-फूटा आइना
यही तो एक अपना यार है यहाँ
क़तार इस लिए भी टूटती नहीं
ख़ुदा ही इक दुकान-दार है यहाँ
हज़ार बार इम्तिहाँ में बैठिए
वही सवाल बार-बार है यहाँ
बुरी ख़बर का इंतिज़ार है यहाँ
जहान सारा अस्पताल क्यों नहीं
कि अजनबी भी ग़म-गुसार है यहाँ
न फ़स्ल मुख़्तलिफ़ है खेत-खेत की
न मेढ़ पर कटीला तार है यहाँ
ये आइना ये टूटा-फूटा आइना
यही तो एक अपना यार है यहाँ
क़तार इस लिए भी टूटती नहीं
ख़ुदा ही इक दुकान-दार है यहाँ
हज़ार बार इम्तिहाँ में बैठिए
वही सवाल बार-बार है यहाँ
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