तड़प जाता है दिल जब दूरियों की बात होती है

By irfan-aazmiFebruary 6, 2024
तड़प जाता है दिल जब दूरियों की बात होती है
इधर सूरज निकलता है उधर जब रात होती है
कभी इक बात होती है हज़ारों बात के पीछे
कभी इक बात के अंदर हज़ारों बात होती है


मक़ाम-ए-'अद्ल से गुज़रे दयार-ए-सिद्क़ भी देखा
हर इक 'आलम में दुनिया अहल-ए-ज़र के साथ होती है
यहाँ ज़ालिम नहीं कोई तो बारिश क्यों नहीं होती
इधर बरसात होती है उधर बरसात होती है


मुकम्मल तौर पर हम सामने आने से डरते हैं
हमारी अस्ल हालत तो पस-ए-हालात होती है
हक़-ओ-बातिल अज़ल से बरसर-ए-पैकार हैं लेकिन
न इस की जीत होती है न उस की मात होती है


बगूलों की जगह उगती हैं ख़ुद-रौ झाड़ियाँ अक्सर
‘अरब के रेग-ज़ारों में भी अब बरसात होती है
मिरे हर काम का मक़्सद है 'इरफ़ान' उस की ख़ुशनूदी
मिरी हर फ़िक्र का महवर उसी की ज़ात होती है


98579 viewsghazalHindi