तही-दामन बरहना-पा रवाना हो गया हूँ

By ainuddin-azimMay 29, 2024
तही-दामन बरहना-पा रवाना हो गया हूँ
तबाही चल तिरे शाना-ब-शाना हो गया हूँ
तिरी रफ़्तार पर क़ुर्बान जाऊँ ऐ तरक़्क़ी
मैं अपने 'अह्द में गुज़रा ज़माना हो गया हूँ


मेरे अतराफ़ रहता है हुजूम-ए-ना-मुरादी
जबीन-ए-ना-रसा में आस्ताना हो गया हूँ
हवा की तान पर गाते हैं मुझ को ख़ुश्क पत्ते
मैं हर टूटे हुए दिल का तराना हो गया हूँ


मिरी मिट्टी में अब मेरी हक़ीक़त ढूँढती है
मैं दुनिया के लिए जब से फ़साना हो गया हूँ
मिरा भी तज़्किरा होने लगा दानिशवरों में
तो क्या फिर मैं भी 'आज़िम' कुछ दिवाना हो गया हूँ


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