तिरे जाने का दिल को ग़म नहीं है
By bilal-sabirMarch 1, 2024
तिरे जाने का दिल को ग़म नहीं है
ये कह दूँ तुझ से मुझ में दम नहीं है
ज़ियादा है जो मुझ में है ज़ियादा
जो मुझ में कम है वो कुछ कम नहीं है
कसक है हिज्र की जो चाहिए भी
मगर तेरा कोई मातम नहीं है
हमेशा तो नहीं निकलेंगे आँसू
हमारी आँख तो ज़मज़म नहीं है
वो चेहरा ज़ख़्म है बस ज़ख़्म है अब
वो चेहरा अब मिरा मरहम नहीं है
'अजब हैरत में वो कहती है सब से
ये लड़का मुझ से क्यों बरहम नहीं है
ये कह दूँ तुझ से मुझ में दम नहीं है
ज़ियादा है जो मुझ में है ज़ियादा
जो मुझ में कम है वो कुछ कम नहीं है
कसक है हिज्र की जो चाहिए भी
मगर तेरा कोई मातम नहीं है
हमेशा तो नहीं निकलेंगे आँसू
हमारी आँख तो ज़मज़म नहीं है
वो चेहरा ज़ख़्म है बस ज़ख़्म है अब
वो चेहरा अब मिरा मरहम नहीं है
'अजब हैरत में वो कहती है सब से
ये लड़का मुझ से क्यों बरहम नहीं है
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