तिरे जाने का दिल को ग़म नहीं है

By bilal-sabirMarch 1, 2024
तिरे जाने का दिल को ग़म नहीं है
ये कह दूँ तुझ से मुझ में दम नहीं है
ज़ियादा है जो मुझ में है ज़ियादा
जो मुझ में कम है वो कुछ कम नहीं है


कसक है हिज्र की जो चाहिए भी
मगर तेरा कोई मातम नहीं है
हमेशा तो नहीं निकलेंगे आँसू
हमारी आँख तो ज़मज़म नहीं है


वो चेहरा ज़ख़्म है बस ज़ख़्म है अब
वो चेहरा अब मिरा मरहम नहीं है
'अजब हैरत में वो कहती है सब से
ये लड़का मुझ से क्यों बरहम नहीं है


10975 viewsghazalHindi