तिरे ख़याल ने पहले सितारा-याब किया
By salim-saleemFebruary 28, 2024
तिरे ख़याल ने पहले सितारा-याब किया
फिर एक ख़्वाब ने मुझ को बहुत ख़राब किया
उसी के नूर से सारा दमक रहा है वुजूद
कि पिछली रात उसे मैं ने माहताब किया
वो 'इश्क़ तुझ से हुआ था कि कुछ हवस न रही
हवा ने बंद हर इक रौशनी का बाब किया
इक आग सी नज़र आई सर-ए-किनारा-ए-शाम
तो इक धुएँ ने बहुत मुझ में पेच-ओ-ताब किया
फिर एक ख़्वाब ने मुझ को बहुत ख़राब किया
उसी के नूर से सारा दमक रहा है वुजूद
कि पिछली रात उसे मैं ने माहताब किया
वो 'इश्क़ तुझ से हुआ था कि कुछ हवस न रही
हवा ने बंद हर इक रौशनी का बाब किया
इक आग सी नज़र आई सर-ए-किनारा-ए-शाम
तो इक धुएँ ने बहुत मुझ में पेच-ओ-ताब किया
56391 viewsghazal • Hindi