तेरी परछाइयाँ ही साथ रहीं
By sumaira-khalidFebruary 29, 2024
तेरी परछाइयाँ ही साथ रहीं
मेरी तन्हाइयाँ ही साथ रहीं
खो गए यार जानिब-ए-मंज़िल
आबला-पाइयाँ ही साथ रहीं
न रहे वो नुक़ूश चेहरे के
न वो रा'नाइयाँ ही साथ रहीं
बढ़ गए लोग शादमाँ और ढोल
सिर्फ़ शहनाइयाँ ही साथ रहीं
नीलगूँ बे-कराँ समंदर में
और गहराइयाँ ही साथ रहीं
हौसला शल कभी हुआ न मिरा
गो कि पसपाइयाँ ही साथ रहीं
नाम तो एक जा हुए अपने
चाहे रुस्वाइयाँ ही साथ रहीं
मेरी तन्हाइयाँ ही साथ रहीं
खो गए यार जानिब-ए-मंज़िल
आबला-पाइयाँ ही साथ रहीं
न रहे वो नुक़ूश चेहरे के
न वो रा'नाइयाँ ही साथ रहीं
बढ़ गए लोग शादमाँ और ढोल
सिर्फ़ शहनाइयाँ ही साथ रहीं
नीलगूँ बे-कराँ समंदर में
और गहराइयाँ ही साथ रहीं
हौसला शल कभी हुआ न मिरा
गो कि पसपाइयाँ ही साथ रहीं
नाम तो एक जा हुए अपने
चाहे रुस्वाइयाँ ही साथ रहीं
72358 viewsghazal • Hindi