थकन औरों पे हावी है मिरी

By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
थकन औरों पे हावी है मिरी
रिहाई अब ज़रूरी है मिरी
बहुत संजीदगी दरकार है
हँसी भी छूट सकती है मिरी


मुझे जीने नहीं देता कोई
सभी को जान प्यारी है मिरी
उसे मैं भूल सकता हूँ मगर
अना मजरूह होती है मिरी


वही तो आज दुश्मन हैं मिरे
जिन्हों ने बात मानी है मिरी
अगर अब साथ हैं तो क्या हुआ
हँसी सब ने उड़ाई है मिरी


84405 viewsghazalHindi