थे इक ख़ुदा के सामने इतने पसारे हाथ

By nomaan-shauqueFebruary 28, 2024
थे इक ख़ुदा के सामने इतने पसारे हाथ
इक दूसरे की डोर न आई हमारे हाथ
साहिल की नर्म रेत पे कुछ देर तो रुको
दरिया मिरा बदन है तो दोनों किनारे हाथ


रख कर हमें घुमा दिया ख़्वाहिश के चाक पर
तुम ने अलग ही ढंग से थामे हमारे हाथ
नाहक़ हमारी जान का तुम ने ज़ियाँ किया
पहले भी कम हसीन नहीं थे तुम्हारे हाथ


सहरा में हूँ तो क़ैस बराबर खड़ा हुआ
रेत आँखों में पड़े कि अब आएँ सितारे हाथ
26545 viewsghazalHindi