तीर-अंदाजों को अंदाज़ा नहीं
By absar-abdul-aliMay 20, 2024
तीर-अंदाजों को अंदाज़ा नहीं
ज़द में आना था जिसे आया नहीं
कुछ तसव्वुर कुछ तवक़्क़ो' कुछ गुमाँ
ये भी क्या ख़्वाबों का ख़म्याज़ा नहीं
सारी बस्ती में फ़क़त इक तेरी ज़ात
क़िबला-ओ-काबा सही का'बा नहीं
जिस हवा में तू है आक़ा-ए-चमन
कोई भी झोंका वहाँ ताज़ा नहीं
धूल की आँखों में जा होती नहीं
पाँव में लगता कभी सुर्मा नहीं
है खड़ा साहिल पे लहरों से परे
पार जाने पर वो आमादा नहीं
चाहता है तू जो तज़ईन-ए-वफ़ा
फूल ला काँटों का गुलदस्ता नहीं
अपने दिल में आप ही रहता है वो
दूसरा क्या उस में रह सकता नहीं
आसमाँ ख़ामोश हो और लोग चुप
देर तक ये सिलसिला चलता नहीं
ज़द में आना था जिसे आया नहीं
कुछ तसव्वुर कुछ तवक़्क़ो' कुछ गुमाँ
ये भी क्या ख़्वाबों का ख़म्याज़ा नहीं
सारी बस्ती में फ़क़त इक तेरी ज़ात
क़िबला-ओ-काबा सही का'बा नहीं
जिस हवा में तू है आक़ा-ए-चमन
कोई भी झोंका वहाँ ताज़ा नहीं
धूल की आँखों में जा होती नहीं
पाँव में लगता कभी सुर्मा नहीं
है खड़ा साहिल पे लहरों से परे
पार जाने पर वो आमादा नहीं
चाहता है तू जो तज़ईन-ए-वफ़ा
फूल ला काँटों का गुलदस्ता नहीं
अपने दिल में आप ही रहता है वो
दूसरा क्या उस में रह सकता नहीं
आसमाँ ख़ामोश हो और लोग चुप
देर तक ये सिलसिला चलता नहीं
99668 viewsghazal • Hindi