तू है वैसा ही हू-ब-हू यारा

By munir-anwarNovember 9, 2020
तू है वैसा ही हू-ब-हू यारा
ख़्वाब में था जो रू-ब-रू यारा
दूसरा तू है जिस ने समझी है
मेरी बे-रब्त गुफ़्तुगू यारा


तुझ को सोचूँ तो फूल खिलते हैं
दिल की नगरी में कू-ब-कू यारा
इतने लोगों में भी अकेले हैं
एक मैं और एक तू यारा


बस ये अज़्म-ए-सफ़र जवाँ रखना
धुँद छटनी तो है कभू यारा
आज-कल रतजगे मनाती है
तेरे ख़्वाबों की आरज़ू यारा


एक सहरा है प्यास का 'अनवर'
तू मोहब्बत की आबजू यारा
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