तू है वैसा ही हू-ब-हू यारा ख़्वाब में था जो रू-ब-रू यारा दूसरा तू है जिस ने समझी है मेरी बे-रब्त गुफ़्तुगू यारा तुझ को सोचूँ तो फूल खिलते हैं दिल की नगरी में कू-ब-कू यारा इतने लोगों में भी अकेले हैं एक मैं और एक तू यारा बस ये अज़्म-ए-सफ़र जवाँ रखना धुँद छटनी तो है कभू यारा आज-कल रतजगे मनाती है तेरे ख़्वाबों की आरज़ू यारा एक सहरा है प्यास का 'अनवर' तू मोहब्बत की आबजू यारा