तू किसी फूल को न ख़ार को देख

By sudarshan-kanwalFebruary 6, 2022
तू किसी फूल को न ख़ार को देख
अक्स-ए-आईना-ए-बहार को देख
सीना-ए-संग में जो राह करे
ख़ाक-आलूद इस शरार को देख


खोल कर बादबान-ए-कश्ती-ए-शौक़
सतवत-ए-बहर-ए-बे-कनार को देख
दोस्तों में तलाश कर ख़ुद को
और फिर अपने ए'तिबार को देख


जिस में तू खो गया है दीवाने
इल्म-ओ-हिकमत के उस दयार को देख
वादी-ए-गुल से बे-नियाज़ गुज़र
दश्त-ओ-सहरा के इंतिज़ार को देख


55564 viewsghazalHindi