तू ने ही हर क़दम पे दिया हौसला मुझे

By aadil-rahiSeptember 7, 2024
तू ने ही हर क़दम पे दिया हौसला मुझे
यारब नहीं है तेरे सिवा आसरा मुझे
इक बार उस ने कह तो दिया दिलरुबा मुझे
तकता रहा मैं आइने को आइना मुझे


जिन के लिए सनद थी मिरी बात कल तलक
देने लगे हैं आज वही मशवरा मुझे
कॉलेज में इस लिए भी तो जाता रहा कि वो
ऐ काश इक नज़र ही सही देखता मुझे


नाराज़ अपने आप से हूँ मान या न मान
तुझ से शिकायतें हैं न कोई गिला मुझे
हर आन हर ख़ुशी है मिली इस के बावजूद
क्यों लग रही है ज़िंदगी मेरी सज़ा मुझे


हाफ़िज़ मिरा ख़ुदा है सो कहना फ़ुज़ूल है
अपने सिवा किसी का नहीं आसरा मुझे
इस 'ऐन शीन क़ाफ़ में इक पल सुकूँ नहीं
देता है जैसे 'राही' कोई बद-दु'आ मुझे


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