तुझे तलाश किसी कमसिन-ओ-हसीन की बस

By sajid-raheemFebruary 28, 2024
तुझे तलाश किसी कमसिन-ओ-हसीन की बस
उसे है पैसा कमाती हुई मशीन की बस
क़रीब लाए वो लब अश्क मेरे पीने को
डकैत लूटने आए हैं ज़ाएरीन की बस


जब अपने गाँव में उतरूँ तो शाम उतरी हो
मैं सारी 'उम्र पकड़ता रहा हूँ तीन की बस
हर एक शख़्स है आज़ाद कोई जब्र नहीं
ये एक बात भी काफ़ी है मेरे दीन की बस


मैं अपने काम उसी के सिपुर्द करता हूँ
मुझे ख़ुदा से तवक़्क़ो' है बेहतरीन की बस
हमें ये वहम था ऐसे ही 'उम्र सँवरेगी
शिकन सँवारी है हम ने तिरी जबीन की बस


ये लोग सख़्त हक़ीक़त-पसंद होते हैं
सुनूँगा बात मोहब्बत के मुंकिरीन की बस
उसे मैं अपनी वफ़ा का सुबूत क्या देता
ये सारी बात तो होती नहीं यक़ीन की बस


तमाशा-गाह की रौनक़ उसी के दम से है
सुनी गई है हमेशा तमाशबीन की बस
दिल एक घर था इसे मक़बरा बनाया गया
ये आरज़ू थी किसी आख़िरी मकीन की बस


21219 viewsghazalHindi