तुम ऐसे पौदों ने बढ़ कर शजर नहीं होना

By haris-bilalFebruary 6, 2024
तुम ऐसे पौदों ने बढ़ कर शजर नहीं होना
तुम्हारे साए से हटना मगर नहीं होना
ज़मीन-ओ-आसमाँ के अपने अपने मसअले हैं
किसी तरफ़ से भी तुम बे-ख़बर नहीं होना


सफ़र से पहले का कुछ वक़्त उन ग़मों के नाम
जिन्हों ने शामिल-ए-रख़्त-ए-सफ़र नहीं होना
यहाँ से आगे कहीं इक जहान और है और
मु'आमला जो इधर है उधर नहीं होना


अभी से बाहमी इश्काल दूर कर लीजे
कभी भी ऐसी दराड़ों ने दर नहीं होना
अलग हैं अच्छे बुरे वाज़ेह तौर पर या'नी
फिर इस जगह से हमारा गुज़र नहीं होना


ख़ला-ओ-वक़्त की सातों जिहात में 'हारिस'
वो एक लम्हा किसी से बसर नहीं होना
19591 viewsghazalHindi