तुम और फ़रेब खाओ बयान-ए-रक़ीब से

By agha-hashr-kashmiriJune 22, 2024
तुम और फ़रेब खाओ बयान-ए-रक़ीब से
तुम से तो कम गिला है ज़ियादा नसीब से
गोया तुम्हारी याद ही मेरा ‘इलाज है
होता है पहरों ज़िक्र तुम्हारा तबीब से


बर्बाद दिल का आख़िरी सरमाया थी उमीद
वो भी तो तुम ने छीन लिया मुझ ग़रीब से
धुँदला चली निगाह दम-ए-वापसीं है अब
आ पास आ के देख लूँ तुझ को क़रीब से


49641 viewsghazalHindi