तुम से जुड़े हैं जितने मोहब्बत-शनास लोग
By asim-qamarFebruary 25, 2024
तुम से जुड़े हैं जितने मोहब्बत-शनास लोग
दर-अस्ल ज़िंदगी हैं यही सौ पचास लोग
दो रूह इक छुअन की तमन्ना मसाफ़तें
या'नी कि इंतिहाई अकेले उदास लोग
बे-मेल निस्बतों के नताएज हैं सब फ़िराक़
फ़ुर्क़त का इर्तिक़ा हैं सभी बद-हवास लोग
नम की तलाश बीच बयाबाँ में ले तो आई
प्यासे खड़े हुए हैं सराबों के पास लोग
रूदाद-ए-‘इश्क़ पढ़ने लगा इक बुज़ुर्ग शख़्स
घेरा बना के बैठ गए आस-पास लोग
दर-अस्ल ज़िंदगी हैं यही सौ पचास लोग
दो रूह इक छुअन की तमन्ना मसाफ़तें
या'नी कि इंतिहाई अकेले उदास लोग
बे-मेल निस्बतों के नताएज हैं सब फ़िराक़
फ़ुर्क़त का इर्तिक़ा हैं सभी बद-हवास लोग
नम की तलाश बीच बयाबाँ में ले तो आई
प्यासे खड़े हुए हैं सराबों के पास लोग
रूदाद-ए-‘इश्क़ पढ़ने लगा इक बुज़ुर्ग शख़्स
घेरा बना के बैठ गए आस-पास लोग
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