तुम्हारे हुस्न की जब तक बहार बाक़ी है

By raman-lal-agarwalMay 8, 2022
तुम्हारे हुस्न की जब तक बहार बाक़ी है
जो चाहो ज़ुल्म करो इख़्तियार बाक़ी है
गया जो रूठ के मुझ से वो फिर नहीं लौटा
अभी भी उस का मुझे इंतिज़ार बाक़ी है


न चैन आएगा दिल को बग़ैर तेरे सनम
तिरी वफ़ा पे मिरा ए'तिबार बाक़ी है
क़रार आएगा दिल को मिरे तुझे पा कर
तिरी जुदाई का इस दिल पे बार बाक़ी है


मिरे ख़ुदा तू ही 'रम्मन' की लाज रख लेना
तिरे करम के सहारे ये प्यार बाक़ी है
19978 viewsghazalHindi