तुम ने गर मुझ को कभी दिल से पुकारा होता
By aatish-muradabadiSeptember 8, 2024
तुम ने गर मुझ को कभी दिल से पुकारा होता
फिर बुलंदी पे मोहब्बत का सितारा होता
मेरे हाथों में अगर हाथ तुम्हारा होता
कितना दिलकश वो मिरी जान नज़ारा होता
बस तख़य्युल है तिरी याद है तन्हाई है
काश ऐसे में मुझे तू ने पुकारा होता
अपने महबूब की बस एक झलक पाने को
यार बेचैन कभी दिल न हमारा होता
तू जो मिल जाता तो मिल जातीं जहाँ की ख़ुशियाँ
तेरा हर ज़ुल्म-ओ-सितम मुझ को गवारा होता
तिश्नगी होंटों पे होती न नमी आँखों में
वक़्त-ए-आख़िर जो अगर साथ तुम्हारा होता
फिर बुलंदी पे मोहब्बत का सितारा होता
मेरे हाथों में अगर हाथ तुम्हारा होता
कितना दिलकश वो मिरी जान नज़ारा होता
बस तख़य्युल है तिरी याद है तन्हाई है
काश ऐसे में मुझे तू ने पुकारा होता
अपने महबूब की बस एक झलक पाने को
यार बेचैन कभी दिल न हमारा होता
तू जो मिल जाता तो मिल जातीं जहाँ की ख़ुशियाँ
तेरा हर ज़ुल्म-ओ-सितम मुझ को गवारा होता
तिश्नगी होंटों पे होती न नमी आँखों में
वक़्त-ए-आख़िर जो अगर साथ तुम्हारा होता
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