उलझी उलझी ज़ुल्फ़ के ख़म नाचते
By aarif-nazeerJuly 12, 2024
उलझी उलझी ज़ुल्फ़ के ख़म नाचते
तेरी महफ़िल में अगर हम नाचते
झोंक देते आग में ख़ुशियाँ तमाम
देख लेते हम अगर ग़म नाचते
दोनों हाथों से उठा कर हम फ़लक
दम दमा दम दम दमा दम नाचते
चाय की बैठक पे बैठे दो रक़ीब
अपने अपने ग़म पे बाहम नाचते
मुरशिदी का शुक्र हो जाता अदा
दीदा-ए-नम आख़िरी दम नाचते
आड़े आती है झिझक वर्ना मियाँ
नाचते 'आरिफ़' तो ऊधम नाचते
तेरी महफ़िल में अगर हम नाचते
झोंक देते आग में ख़ुशियाँ तमाम
देख लेते हम अगर ग़म नाचते
दोनों हाथों से उठा कर हम फ़लक
दम दमा दम दम दमा दम नाचते
चाय की बैठक पे बैठे दो रक़ीब
अपने अपने ग़म पे बाहम नाचते
मुरशिदी का शुक्र हो जाता अदा
दीदा-ए-नम आख़िरी दम नाचते
आड़े आती है झिझक वर्ना मियाँ
नाचते 'आरिफ़' तो ऊधम नाचते
37102 viewsghazal • Hindi