उमीद-वार तो बर्ग-ओ-समर के हम भी हैं

By adnan-munawwarMay 21, 2024
उमीद-वार तो बर्ग-ओ-समर के हम भी हैं
शजर न काट कि शाख़-ए-शजर के हम भी हैं
ये और बात कि दामन न मिल सका हम को
गिरे हुए तो किसी चश्म-ए-तर के हम भी हैं


सुबुक-रवान-ए-मोहब्बत न यूँ हँसो हम पर
शिकस्ता-पा सही इस रहगुज़र के हम भी हैं
ये और बात हमारी ख़बर नहीं रखता
हमें ख़बर है किसी बा-ख़बर के हम भी हैं


ऐ अहल-ए-क़ाफ़िला तन्हा सफ़र भी सख़्त नहीं
हमारा ज़ाद-ए-सफ़र है सफ़र के हम भी हैं
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