उन लम्हों को गुज़रे भी अब एक ज़माना बीत गया
By swati-sani-reshamFebruary 29, 2024
उन लम्हों को गुज़रे भी अब एक ज़माना बीत गया
आधी अधूरी बातें कर के चला वो मेरा मीत गया
सावन की भीगी रातों में पेड़ों की ठंडी छाँव में
लफ़्ज़ों में बाँधा था जिस को कहाँ वो मेरा गीत गया
जमुना गंगा के संगम की नीली पीली लहरों में
ख़त में मेरे गीत तुम्हारे जीवन का संगीत गया
रात की रानी के साए में पूरे चाँद की आधी रातें
दुनिया सोती हम थे जागे प्यार हमारा जीत गया
कल सोचा था कल मिल लेंगे आज ये सोचा कल देखेंगे
तुम से मिलने की चाहत में साल ये सारा बीत गया
आधी अधूरी बातें कर के चला वो मेरा मीत गया
सावन की भीगी रातों में पेड़ों की ठंडी छाँव में
लफ़्ज़ों में बाँधा था जिस को कहाँ वो मेरा गीत गया
जमुना गंगा के संगम की नीली पीली लहरों में
ख़त में मेरे गीत तुम्हारे जीवन का संगीत गया
रात की रानी के साए में पूरे चाँद की आधी रातें
दुनिया सोती हम थे जागे प्यार हमारा जीत गया
कल सोचा था कल मिल लेंगे आज ये सोचा कल देखेंगे
तुम से मिलने की चाहत में साल ये सारा बीत गया
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