उन की हर बात ही उर्दू में सनद है हद है
By ahmad-aqeelMay 23, 2024
उन की हर बात ही उर्दू में सनद है हद है
मेरा लिक्खा हुआ हर लफ़्ज़ ही रद्द है हद है
नज़्र-ए-तश्कीक न कर पाक-निगाही को मिरी
तुझ से मिलना भी कोई ख़्वाहिश-ए-बद है हद है
हर नए पंछी को उड़ने नहीं देती दुनिया
हर किसी दिल में भरा कीना-ओ-कद है हद है
मुझ को देखा जो सर-ए-बज़्म तो मुँह फेर लिया
अपने वा'दों से ये ए'राज़-ए-अमद है हद है
पहले ख़ुद ही मिरे ख़्वाबों को सबोताज़ किया
अब ज़रूरत है मिरी और अशद है हद है
यूँ तो अहबाब की तादाद ज़ियादा है मगर
इतनी मुश्किल में रसद है न मदद है हद है
क़ैस के दर का मैं सज्जादा-नशीं हूँ लेकिन
लोग कहते हैं कि तू अहल-ए-ख़िरद है हद है
मेरा लिक्खा हुआ हर लफ़्ज़ ही रद्द है हद है
नज़्र-ए-तश्कीक न कर पाक-निगाही को मिरी
तुझ से मिलना भी कोई ख़्वाहिश-ए-बद है हद है
हर नए पंछी को उड़ने नहीं देती दुनिया
हर किसी दिल में भरा कीना-ओ-कद है हद है
मुझ को देखा जो सर-ए-बज़्म तो मुँह फेर लिया
अपने वा'दों से ये ए'राज़-ए-अमद है हद है
पहले ख़ुद ही मिरे ख़्वाबों को सबोताज़ किया
अब ज़रूरत है मिरी और अशद है हद है
यूँ तो अहबाब की तादाद ज़ियादा है मगर
इतनी मुश्किल में रसद है न मदद है हद है
क़ैस के दर का मैं सज्जादा-नशीं हूँ लेकिन
लोग कहते हैं कि तू अहल-ए-ख़िरद है हद है
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