उस धोके ने तोड़ दिया है इतना मुझ को

By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
उस धोके ने तोड़ दिया है इतना मुझ को
अब कुछ भी समझा लेती है दुनिया मुझ को
यारों ने क्या ख़ूब जुनूँ का तोड़ निकाला
सब ने मिल कर छोड़ दिया समझाना मुझ को


उस ने मुजरिम ठहराया तो मान गया मैं
वैसे कोई याद नहीं था वा'दा मुझ को
औरों की जाँ मैं ख़तरे में डाल न पाया
कश्ती कश्ती ढूँड रहा था दरिया मुझ को


इस सूरत में यार भला क्या कर सकते थे
तोड़ रहा था अन्दर का सन्नाटा मुझ को
मुझ को पढ़ना मुझे समझना क्या लाज़िम है
झूम झूम के बंद करो दोहराना मुझ को


93536 viewsghazalHindi