उस का अंदाज़ भी चेहरा भी ग़ज़ल जैसा है

By munazir-aashiq-harganviJune 7, 2021
उस का अंदाज़ भी चेहरा भी ग़ज़ल जैसा है
वो पड़ोसी मिरा लगता भी ग़ज़ल जैसा है
देखने वालो इसे मेरी नज़र से देखो
ये मिरा चाँद सा मुन्ना भी ग़ज़ल जैसा है


धर्म के नाम पे ये क़त्ल की साज़िश कुछ सोच
तेरे हमसाए का बच्चा भी ग़ज़ल जैसा है
हुस्न ऐसा है कि देखो तो लगे ताज-महल
इस पे वो शख़्स सँवरता भी ग़ज़ल जैसा है


पत-झड़ों से भी उभरती हैं बहारें 'आशिक़'
रंग मौसम का बदलता भी ग़ज़ल जैसा है
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