उस को भी किसी रोज़ मिरा ध्यान रहेगा

By salim-saleemFebruary 28, 2024
उस को भी किसी रोज़ मिरा ध्यान रहेगा
ज़िंदा जो रहूँगा तो ये इम्कान रहेगा
जिस लफ़्ज़ से फूटेगी तिरे दर्द की ख़ुशबू
वो लफ़्ज़ मिरे शे'र की पहचान रहेगा


अच्छा ही हुआ ख़ुद को भी अब भूल गए हैं
हम पर तिरी यादों का ये एहसान रहेगा
कुछ रोज़ अभी जश्न हुआ होगा यहाँ भी
कुछ रोज़ अभी गर्द का तूफ़ान रहेगा


हम कितना ही बहलाएँ नहीं बहलेगा ये दिल
हम कितना ही समझाएँ परेशान रहेगा
हाँ अहल-ए-जहाँ ख़ाक उड़ाते ही रहेंगे
जब तक मिरी वहशत का बयाबान रहेगा


हम देख के उस शख़्स को अंजान बनेंगे
वो शख़्स हमें देख के हैरान रहेगा
30549 viewsghazalHindi