उठा लो रू-ए-अनवर से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता

By asghar-nizamiMarch 28, 2022
उठा लो रू-ए-अनवर से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता
ग़ुरूब होने लगेगा आफ़्ताब आहिस्ता आहिस्ता
तिरे रुख़्सार की सुर्ख़ी को शायद देख पाया है
उड़ा जाता है जो रंग-ए-गुलाब आहिस्ता आहिस्ता


किसी की कम-सिनी पर मर-मिटे हैं चाहने वाले
अभी तो रंग लाएगा शबाब आहिस्ता आहिस्ता
रग-ए-गर्दन पे रुक रुक कर चलाएँ आप ख़ंजर को
मज़ा लेने दें मरने का जनाब आहिस्ता आहिस्ता


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